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कवि ने लिखा है

kavi ne likha hai

मनीष यादव

अन्य

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मनीष यादव

कवि ने लिखा है

मनीष यादव

और अधिकमनीष यादव

    बेटी एक उम्र के बाद माँ-सी हो जाती है

    प्रेम बाँटने वाली,

    सबकी चिंता करने वाली,

    और ख़ुद के प्रति मौन...!

    मगर मैं कविताई के ढोंग से परे होकर

    सचमुच लिखना चाहता हूँ कि—

    “सुनो लड़की,

    वह माँ तुम्हारी तरह स्कूल जाते हुए

    ख़ुद को देखती है तुममें

    कभी दो चोटी बाँधे हुए

    अपनी किसी बचपन की सहेली के हाथों में हाथ डाले,

    तो कभी किसी छोटे भाई को चिढ़ाते हुए,

    या फिर कभी किसी सफ़ेद और नीले चेक शर्ट वाले लड़के से ख़ुद की नज़रें चुराते हुए...”

    किंतु जब माँ को तुम इतनी आसानी से कह देती हो

    तुम नहीं समझोगी दु:ख हमारा

    उस क्षण निश्चित ही तुम्हें सोचना चाहिए कि

    माँ की भी एक प्रेम कहानी ज़रूर रही होगी?

    और अंततः मैं ये चाहता हूँ कि

    हर उस माँ की तरफ़ से तुम महसूस करो

    कि बेटी की शादी के बाद विदाई के समय

    एक माँ अपनी बेटी के साथ-साथ

    ख़ुद के बचपने को भी दूसरी बार विदा कर रही होती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : मनीष यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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