कब बंद होगा धूल उड़ना

kab band hoga dhool uDna

चमन लाल चमन

चमन लाल चमन

कब बंद होगा धूल उड़ना

चमन लाल चमन

कभी सोचा तक था

कि जिस डाल पर कमंद डालो

वही अरअरा कर टूट जाएगी

जिस चिराग़ को रोशनी के लिए

हाथ में लो

वही आग लगाएगा—

दहशत की आग जो फैलती ही जाती है

एक रंगीन तितली था मैं तो

फूलों की इस पंक्ति से उस पंक्ति पर

उड़ता-फिरता

मँडराता

पत्तों पर बिखरे परागकणों के मोती चूसता

गंधभरी पुष्पलताओं पर

अपने पंखों की उड़ान मापता

तूफ़ान ने कहीं कुछ छोड़ा—

कहीं वह आँगन रहा

वे दीवारें

वह आस-पड़ोस

कब बंद होगा इस गर्दों-ग़ुबार का उड़ना?

कब देखेंगी आँखें

वही पुराना परिचित परिवेश

वे गलियाँ

जिनमें मैं कभी निकलता था

कहीं तो नज़र नहीं आतीं

बाहर फैल गए है झुंड-दर-झुंड बनमानुस

उम्रों से खड़े मेरे घर की

नींव तले की मिट्टी आज मुँह बाये खड़ी है

क्या मालूम कब यह गिर पड़े

पड़ोसी सब भाग चुके हैं कब के

जब तक गोलियों से सब कुछ तरस-नहस हो गया

सभी देखते

मुझे लिथेड़ा गया

और सभी धर्म मत

मिलकर लगे मेरा टेंटुआ खींच निकालने

टोकरी में बंद

कितनी ज़बानें साँस लेने को तड़पती रहीं

शिकारी परिंदों ने

नोच-खसोटकर रख दिया बगिया को

सभ्यता की आवाज़ ख़ामोश हो गई

निष्ठा का प्रकाश

गिरफ़्तारी की मोहर तले दब गया

न्याय की धूप को

बेड़ियाँ पहनाकर

सरे-राह घसीटा गया

छुरों का जुलूस

बेरोक गले काटता हुआ निकल गया

हाथ मसलकर छीन लिया गया

शताब्दियों की उपलब्धि को

और अब

बंद कमरों में प्रस्ताव पारित करने से

होगा तो क्या होगा?

घाव तो नहीं भरेंगे

मृगजल की झलक से

प्यास की तीव्रता कम तो नहीं होगी।

स्रोत :
  • पुस्तक : भारतीय कविताएँ 1984 (पृष्ठ 75)
  • संपादक : बालस्वरूप राही
  • रचनाकार : चमन लाल चमन
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ
  • संस्करण : 1984
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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