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कमरा

kamara

केतन यादव

अन्य

अन्य

और अधिककेतन यादव

    एक बहुत अजीब क़िस्म की उदासी से भर जाता है मेरा कमरा

    अचानक बहुत मायूस हो जाती हैं दीवारें

    कमरें में धीरे-धीरे रोशनी कम होने लगती है

    दीवार के सफ़ेद पेंट मनहूस हो जाते हैं

    हर सकेंड लगता है कि अभी कुछ होगा

    क्या ऊपर घन-घनाता हुआ पंखा नीचे गिर जाएगा

    या फिर बिजली की तारें सभी सॉर्ट कर जाएँगी

    क्या चारों दीवारें गिर जाएँगी मुझ पर

    या फिर अचानक नीचे की ज़मीन धँसती जाएगी—

    मेरे मन की तरह; और मैं भीतर धँस जाऊँगा

    या फिर उससे भी भयानक होगा कुछ;

    कि कुछ भी नहीं होगा

    बाएँ दाएँ ऊपर से नीचे से कहीं से कुछ भी नहीं,

    कुछ भी होना कितना खौंफ़नाक होता है

    कुछ भी नहीं मतलब कुछ भी नहीं

    किसी अकेले बंद कमरे में

    कुछ भी नहीं होने का अर्थ कितना कुछ हो सकता है?

    स्रोत :
    • रचनाकार : केतन यादव
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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