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जुनून का पौधा रात के बारह बजे उगता है

junuun ka paudha raat ke baarah baje ugta hai

सत्यपाल सहगल

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सत्यपाल सहगल

जुनून का पौधा रात के बारह बजे उगता है

सत्यपाल सहगल

और अधिकसत्यपाल सहगल

    जुनून का पौधा रात के बारह बजे उगता है

    कभी जुनून झरने की तरह गिरता है

    हमारी आत्माओं पर

    कभी आँगन में आकर गिरे बम्ब की तरह

    दीवारें दोस्त बन जाती हैं जुनून की कई बार

    वह उनसे बातें करता

    रात के सरोवर में ऊँचे से छलाँग लगाता है

    जुनून को मैंने रात के अँधेरों में तैरते देखा है

    बहुत क़रीब से हमारे सन्न से

    गुज़र जाता है उसका तीर

    ढोल बजते-बजते फट जाता है

    आँखें चुधियाँ जाती हैं उसकी रोशनी में

    भूखे शेर की तरह दहाड़ती है उसकी दहाड़

    जंगल काँपता है

    कभी मैंने उसे भागते देखा है चीते की तरह

    किसी के पीछे

    जुनून पत्थरों की शक्ल में भी हो सकता है

    ध्यान से ग़ुज़रो उनकी बग़ल से

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यपाल सहगल
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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