Font by Mehr Nastaliq Web

जिस तरह पड़ना चाहिए बीमार

jis tarah paDna chahiye bimar

अनुवाद : कांता

अन्ना अख्मातोवा

अन्य

अन्य

अन्ना अख्मातोवा

जिस तरह पड़ना चाहिए बीमार

अन्ना अख्मातोवा

और अधिकअन्ना अख्मातोवा

    जिस तरह पड़ना चाहिए बीमार

    धधकते सन्निपात में

    फिर मिलने को सब से।

    सागर-तट से लगे

    धूप और हवा से भरे बाग़ की

    चौड़ी, छायादार

    सड़कों पर घूमने।

    चाहते नहीं अब

    मृतक और निर्वासित भी

    घर मेरे आना।

    मुझ तक पहुँचा दो बच्चे को

    पकड़ कर हाथ,

    अरसे से खलता रहा है

    उस का पास होना।

    खाऊँगी काली दाख

    अपने लाड़लों के साथ,

    पिऊँगी ठंडी शराब

    और निहारूँगी

    चकमक के आर्द्र फैलाव पर

    सफे़द झरता हुआ झरना।

    स्रोत :
    • पुस्तक : सूखी नदी पर ख़ाली नाव (पृष्ठ 359)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : अन्ना अख्मातोवा
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY