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जर्मनी में माँ की पहली सर्दियाँ

jarmni mein maan ki pahli sardiyan

अनुवाद : देवेश पथ सारिया

जॉन गुज़लॉव्स्की

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जॉन गुज़लॉव्स्की

जर्मनी में माँ की पहली सर्दियाँ

जॉन गुज़लॉव्स्की

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    मेरी माँ ने कभी नहीं सोचा था कि वह पहली सर्दियों में ज़िंदा बच पाएगी। उसके पास कोई कोट नहीं था, कोई हैट नहीं

    थी, दस्ताने नहीं थे, उसके पास बस वही था जो उसने पहना था जब जर्मन उसके घर पर आए, मेरी नानी को मार

    दिया और मेरी माँ को शिविर में ले गए।

    वहाँ एक सैनिक ने उसकी जान बचाई। उसने माँ को बर्फ़़ जमी धरती में हाथों से चुकंदर खोदने का संघर्ष करते देखा,

    और पूछा कि क्या वह गाय का दूध दुहना जानती है।

    माँ ने कहा, हाँ।

    वह उसे गायों के बाड़े में ले गया और उसका बलात्कार किया।

    बाद में, गायों ने उसे ठंड में जम जाने से बचाया और पीने को दूध देती रहीं।

             
    स्रोत :
    • रचनाकार : जॉन गुज़लॉव्स्की
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए अनुवादक द्वारा चयनित

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