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जमाई-पूजन

jamai pujan

उपासना झा

अन्य

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उपासना झा

जमाई-पूजन

उपासना झा

और अधिकउपासना झा

    जिन हाथों ने मारा तुम्हारी बेटियों को

    उन हाथों में भर-भर कर देते रहे मिठाई और फलों की तश्तरियाँ

    जिन क्रूरताओं ने तुम्हारी बेटी के मान को खंडित किया

    उन्हें श्रीविष्णु की तरह पीतांबर अर्पित करते रहे तुम

    जिस मुँह से फूटी अश्लील गालियों की सहस्रधारा में नहाते रहे

    तुम्हारे मृतक पूर्वजों से लेकर

    गोदी के बच्चे तक

    उस मुँह से आदेश पाकर कैसे मुदित होते हो तुम

    कैसे विनत होकर पीठ तुम्हारी धनुषाकार हो जाती है

    'बेटी के बाप को झुकना ही पड़ता है

    बेटी की माँ को सुनना ही पड़ता है

    बेटी को सहना ही पड़ता है'

    ये मंत्र कौन पढ़ा जाता है तुम्हें बेटी के जन्मते ही!

    हर पर्व-त्यौहार और शुभ कार्यक्रमों में

    विशिष्ट निमंत्रण किए गए उनके

    और वे हर बार आकर शुभ को अशुभ में तब्दील करते रहे

    तुम्हारे ही घर आकर तुम्हें ही करते रहे वे पगदलित

    जिनसे पूछा जाना था उनकी क्रूरताओं का हिसाब

    उन्हें देवताओं की तरह प्रतिष्ठा दी गई

    सच ही तो है

    तुम्हारे देवताओं को मानव-रक्त की प्यास लगती रही है

    स्रोत :
    • रचनाकार : उपासना झा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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