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इति

iti

सत्यम तिवारी

अन्य

अन्य

और अधिकसत्यम तिवारी

    यहाँ पहुँचकर भी तो

    पूरा होता है यात्रा का एक पड़ाव

    खुलता है तिलिस्म का प्रवेशद्वार

    पहुँचते ही पकड़ता है कोई

    अप्रत्याशित अशक्त

    खिंचता है बहुप्रतीक्षित भवितव्य

    यहीं जकड़ती है हमें अधीरता

    स्पर्श चिंगारी को ईंधन देता है

    यहीं टूटता है सदियों पुराना श्राप

    राख के पुतले जलते हैं

    और भाप की रेलगाड़ियाँ चलती हैं

    यहीं हैं वक़्त काटने की सबसे ऐच्छिक जगहें

    सभी विकल्पों में सबसे वैकल्पिक

    दैनिक सहनशीलता पर टिका है इनका अस्तित्व

    जाने-अनजाने कितनी अनहोनियाँ

    यहाँ टलतीं हैं एक साथ

    कोई निरखेगा तो बिलखेगा

    कोई सोचेगा तो सिहरेगा

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यम तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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