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स्त्री की नींद

istri ki neend

नीलेश रघुवंशी

अन्य

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नीलेश रघुवंशी

स्त्री की नींद

नीलेश रघुवंशी

और अधिकनीलेश रघुवंशी

    स्त्री की नींद

    एक छोटे से डाकख़ाने में

    वो स्त्री अपनी सीट पर इतनी उदास इतनी अकेली

    समय उसके आस-पास नहीं होता ऊँघते और झपकियाँ लेते

    एक ही ग़लती को दोहराती है बार-बार कम्प्यूटर पर

    काउंटर पर ठक-ठक की आवाज़

    नींद और आलस से बाहर लाती है उसे

    वह लिफ़ाफ़े की इबारत और भेजने वाले के

    हाथों के कंपन से होती है कोसों दूर

    नींद से भरी हुई इस स्त्री को देख

    दफ़्तर के लोग पीटते हैं सिर कोसते हैं अपने बीच उसके होने को

    घर और दफ़्तर के कभी ख़त्म होने वाले कामों के बीच

    स्त्री की नींद कसमसाती है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : नीलेश रघुवंशी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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