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स्त्री का अपने अंदाज़ में आना

istri ka apne andaz mein aana

शलभ श्रीराम सिंह

अन्य

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शलभ श्रीराम सिंह

स्त्री का अपने अंदाज़ में आना

शलभ श्रीराम सिंह

और अधिकशलभ श्रीराम सिंह

    सुबह का ताज़ा हवा की तरह आती है एक स्त्री

    आती है एक स्त्री आँधी की तरह

    उमस और घुटन की तरह आती है एक स्त्री।

    पत्ती की थरथराहट की तरह आती है एक स्त्री

    एक स्त्री धूप की गर्माहट की तरह

    चाँदनी की चुप्पी की तरह आती है एक स्त्री।

    परछाईं की तरह आती है एक स्त्री उजालों में केवल

    एक स्त्री आती है हँसी की तरह अच्छे दिनों में

    बुरे दिनों में बेचैनी की तरह आती है एक स्त्री।

    तुम्हारी तरह नहीं आती है कोई स्त्री

    अपने अंदाज़ में ठीक-ठाक

    अपने अंदाज़ में ठीक-ठाक

    अपने अंदाज़ में स्त्री का आना

    ईश्वरी हो जाना है।

    ईश्वरी पूजित हो सकती है केवल

    प्यार नहीं कर सकती है किसी को वह

    प्यार करने वाली ईश्वरी की हत्या कर देती है दुनिया।

    स्रोत :
    • पुस्तक : उन हाथों से परिचित हूँ मैं (पृष्ठ 57)
    • रचनाकार : शलभ श्रीराम सिंह
    • प्रकाशन : रामकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 1993

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