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ईश्वर हमें रुष्ट होकर कहीं लौट जाने का अवसर नहीं देता

ishvar hamein rusht hokar kahin laut jane ka avsar nahin deta

गौरव सिंह

गौरव सिंह

ईश्वर हमें रुष्ट होकर कहीं लौट जाने का अवसर नहीं देता

गौरव सिंह

लड़कियाँ

अपने प्रेमियों से रूठकर

पुरानी तस्वीरें खँगालने लगती हैं...

लड़के

अपनी प्रेमिकाओं से लड़कर

किसी पुराने मित्र को बेतरह याद करते हैं...

बच्चे

डाँट खाकर रो पड़ते हैं

और अपने पुराने खिलौनों को लिए

चले जाते हैं घर के सबसे एकाँत कमरे में

औरतें

अपने पतियों से नाराज़ होकर

घर की सबसे पुराने चीज़ों को

संदूक से बाहर निकालती हैं

बूढ़े

उदास होकर

खेतों की ओर निकल जाते हैं

जो शहर में उदास होते हैं...

अमूमन गाँव लौट आना चाहते हैं!

लोग

जीवन से रुष्ट होकर

उसके होने पर संदेह करते हैं...

पर अगले ही दिन

अपने संशय के लिए उससे क्षमा माँगते हैं

'ईश्वर हमें रुष्ट होकर कहीं लौट जाने का अवसर नहीं देता!'

स्रोत :
  • रचनाकार : गौरव सिंह
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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