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युद्ध

yudh

अनुवाद : अशोक जेरथ

मोहन सिंह सलाथिया

अन्य

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और अधिकमोहन सिंह सलाथिया

    एक

    इस बार कोयल नहीं बोली

    भौंरों की आवाज़ सुनाई दी।

    पपीहे ने गीत ही गाया

    यौवन आया, मस्ती छाई

    चिड़ियों की काकुली

    मोरों का नृत्य ही दिखा

    मिट्टी की सुगंध बिखरी

    और ही जीवन में रंग भरा

    सतरंगी झूले नहीं पड़े

    ही किसी ने भाख लगाई

    गोरी की झाँझर नहीं छनकी

    घर आया परदेसी

    फिर भी नर्म पाँव से

    हिरख तपा, जीवन में आशा आई

    सतरंगी किरणों को लेकर

    सूरज आया, दिन चढ़ आया

    धूसर पीला

    ताप का खाया

    पर जीवन की आस बरक़रार है

    कोयल बोलेगी पपीहा गाएगा

    यौवन मस्ती कभी तो छाएगी

    भँवरे, चिड़ियाँ

    मोर और मोरनी

    मिट्टी की सुगंध में मस्त होकर

    सतरंगी झूले पर चढ़कर

    जीवन में रंग भरते-भरते

    भाख गाएँगे

    परदेसी सिपाही

    लड़ाई पर कभी नहीं जाएँगे, कभी नहीं जाएँगे।

    दो

    मेरे अंतस् में/युद्ध छिड़ा है

    तर्क और चाहत/गुत्थमगुत्था

    लड़ाई हो रही है/घर-घर में दफ़्तर में

    मानव ही मालिक/मानव ही दास

    पत्थर तोड़ते हाथ हैं भूखे

    सूली चढ़ रहे हैं लोग और क़ैदी

    सड़कें/कारें/हंटर/मार रहे

    जीवन कुचलना है अति सहज

    लड़ाई छिड़ी है।

    मस्जिद/मंदिर/लाखों मशालें हैं

    असीमित लाशें हैं।

    दंडवत करते, सिज़दा करते

    प्रेम से भर श्वासें

    जीवन डोर समाप्त करने के लिए

    लड़ाई छिड़ी है/लड़ाई छिड़ी है

    पता नहीं कितने युग बीत गए

    पता नहीं और कितने बीतेंगे।

    तीन

    मानव का इतिहास यह सारा

    युद्ध ने लिखा/युद्ध ने गढ़ा है

    हो जाती है झट ही बात पुरानी

    हिरोशिमा नागासाकी की

    कोई 'पूर्ण' नहीं बनना चाहता

    सब यहाँ 'चंगेज' और 'हिटलर'

    सब यहाँ 'रावण' और 'दशरथ'

    नारी के नारायण सारे

    नस्लें, जातें, गोत्र

    गोरे, काले छोटे, बड़े

    भूखे, तृप्त पुरुष और नारी

    मनन और चिंतन/सोच, अनुसंधान

    सभी लड़ाई के सशक्त कारण हैं।

    हिरख/चाहे अनेक बार

    गौतम बनकर धरती पर आया

    पर फिर भी यह युद्ध समाप्त नहीं हुआ

    पर फिर भी यह युद्ध संपन्न नहीं हुआ

    लड़ाई जो मानव के मन में बस गई

    लड़ाई जो मानव के मन पर छा गई।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक डोगरी कविता चयनिका (पृष्ठ 93)
    • संपादक : ओम गोस्वामी
    • रचनाकार : मोहन सिंह सलाथिया
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2006

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