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नवागंतुक जीव

nawagantuk jeew

अनुवाद : इबोहल सिंह काड़्जम

थाङ्जम इबोपिशक सिंह

अन्य

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थाङ्जम इबोपिशक सिंह

नवागंतुक जीव

थाङ्जम इबोपिशक सिंह

और अधिकथाङ्जम इबोपिशक सिंह

    सात समुंदर का ज्ञान अर्जित कर

    सभी प्राणियों का

    अपने को राजा बनाने वाले

    हे मानव!

    अब क्या हुआ, रस्सी से लटककर मर गया!

    सौंदर्य-सौंदर्य : अंधा हो गया, दिखाई नहीं दिया

    प्रेम, सत्य

    जल गए कई हड्डियों से उठी ज्वालाओं से

    मदमस्त युद्ध में।

    सब ख़ाली ही है

    बिलकुल ख़ाली, खोखला, एकदम ख़ाली।

    -

    मानव—नहीं रहा यह नाम इस संसार में

    मिट गईं उनकी आत्माएँ।

    तो कौन है जो दृष्टिगत है?

    जानवर से भी भयंकर जीव है

    नवागंतुक हाल ही का

    उसका नामकरण हुआ ही नहीं।

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक मणिपुरी कविताएँ (पृष्ठ 41)
    • संपादक : देवराज
    • रचनाकार : थाङ्जम इबोपिशक सिंह
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 1989

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