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मत बाँटो इंसान को

mat banto insaan ko

विनय महाजन

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विनय महाजन

मत बाँटो इंसान को

विनय महाजन

और अधिकविनय महाजन

    नोट

    प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा पाँचवी के पाठ्यक्रम में शामिल है।

    मंदिर—मस्जिद—गिरजाघर ने

    बाँट लिया भगवान को।

    धरती बाँटी सागर बाँटा—

    मत बाँटो इंसान को॥

    अभी राह तो शुरू हुई है—

    मंज़िल बैठी दूर है।

    उजियाला महलों में बंदी—

    हर दीपक मजबूर है॥

    मिला सूरज का संदेसा—

    हर घाटी मैदान को।

    धरती बाँटी सागर बाँटा—

    मत बाँटो इंसान को।

    अब भी हरी भरी धरती है—

    ऊपर नील वितान है।

    पर प्यार हो तो जग सूना—

    जलता रेगिस्तान है॥

    अभी प्यार का जल देना है—

    हर प्यासी चट्टान को।

    धरती बाँटी सागर बाँटा—

    बाँटा मत बाँटो इंसान को॥

    साथ उठें सब तो पहरा हो—

    सूरज का हर द्वार पर।

    हर उदास आँगन का हक़ हो—

    खिलती हुई बहार पर॥

    रौंद पाएगा फिर कोई—

    मौसम की मुस्कान को।

    धरती बाँटी सागर बाँटा—

    मत बाँटो इंसान को॥

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    विनय महाजन

    विनय महाजन

    स्रोत :
    • पुस्तक : वसंत भाग 1 (पृष्ठ 108)
    • रचनाकार : विनय महाजन
    • प्रकाशन : एनसीईआरटी
    • संस्करण : 2022

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