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हूँ मैं ख़ुश

hoon main khush

अनुवाद : सईद शेख़

माक्ती रोस्सी

अन्य

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माक्ती रोस्सी

हूँ मैं ख़ुश

माक्ती रोस्सी

और अधिकमाक्ती रोस्सी

    है वह ख़ुशी मेरे लिए :

    मेरी गोद भरी है तुमसे

    हाथ भरे हैं काम से

    दुनिया भरी पड़ी है दोस्तों से।

    ख़ुशी दिखाई पड़ती है दोस्त जैसी,

    पतझड़ के रंग आँखों में चिंगारी की तरह,

    छोटे-छोटे पंख एड़ियों में,

    नृत्य पैर की उँगलियों की पोरों में।

    ख़ुशी अल-सुबह है,

    जब वह तुम्हें मेरे लिए लाती है,

    ख़ुशी है बुझती हुई शाम

    जब हम दोनों साथ बैठे थे मकान में,

    मेहमानों का इंतज़ार करते

    या फिर उन्हें जंगल की पगडंडी तक छोड़ते हुए।

    हूँ मैं ख़ुश;

    हालाँकि छायाओं से प्यार करता हूँ

    धुँधलके को गपशप के लिए बुलाता हूँ

    मैं दिनों से भागता नहीं हूँ,

    मैं इन्हें जादू से, सपनों में नहीं बदलता हूँ।

    ख़ुशी हरेक दिन

    हालाँकि आधी है पीड़ा;

    सारी ख़ुशी जी है

    यद्यपि वह जला डालेगी जैसे आग।

    मैंने ख़ुशी को तलाश नहीं किया,

    ख़ुशी ढूँढ़े बिना आई,

    ज़िंदगी की बड़ी पोशाक में,

    रंगीन कपड़ों में;

    उसने मुझे काम दिया।

    बहुत है ख़ुशी पगडंडी पर,

    विचित्र मोड़ चक्करों में,

    ख़ुशी काम में, ख़ुशी हम में

    अपने सामूहिक आदर्शों में।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 215)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : माक्ती रोस्सी
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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