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होली

holi

अनुवाद : अमिया कुँवर

इमरोज़

अन्य

अन्य

इमरोज़

होली

इमरोज़

रंग-रंग खेलने के लिए

हम तीन

इकट्ठे हुए थे—

रंग, ख़याल और मैं

हमने अपने-अपने दोनों हाथ भर लिए

और खेल शुरू हो गया

पहले रंगों ने

अपने जाने-पहचाने रंगों से

ख़यालों को रंग लगाया

और फिर

ख़यालों ने अपने अलहदा और नए रंगों से

रंगों को रँग दिया

और फिर

दोनों ने अपने अपने रंगों से

मुझे जी भरकर रँगा

मैंने भी

दोनों के दोनों हाथों में

इतना रंग रँग दिया

अपने बड़े गहरे रंगों से

कि पहचान ही हो पाए

कि रंग कौन-से और ख़याल कौन से...

यह रंगों का खेल

सचमुच में ख़ूबसूरत खेल है

यह रंग-रंग खेलते-खेलते

मेरी अपनी एक पहचान बन गई है

रंगों के गहरे रंग और

ख़यालों के एकदम अलहदा रंगों से

सना हुआ मैं

पहचान-मुक्त हुआ

दोनों को कसकर गले मिल रहा था

बारी-बारी से...

स्रोत :
  • पुस्तक : अमृता के लिए नज़्म जारी है (पृष्ठ 106)
  • रचनाकार : इमरोज़
  • प्रकाशन : हिंद पॉकेट बुक्स
  • संस्करण : 2008

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