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हरी नींद

hari neend

श्रीधर करुणानिधि

अन्य

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और अधिकश्रीधर करुणानिधि

    तुम्हारी नींद हरी हो जाती है

    इस नीले आसमान के नीचे

    विशाल ’रेन-ट्री‘ की बाँहों में

    सोती चिड़ियों के सपने में

    जब ‘करंजी झील’ का पानी हिलोरें मारता है

    तब क्या तुम्हारी बत्तखें

    तैरने चली जाती हैं रात को ही!

    लाल चींटियों के घरों में कब मिलतें हैं फणधारी नाग

    बड़े प्यार से समझाते हैं मिस्टर कुमार

    समझाते हैं कि ‘ढूँहें हमें जंगल में भटकने से कैसे बचाती हैं?’

    ‘जंगल की हर चीज़ हमसे बातें करती हैं।’

    हमारे ऐसे जंगल क्यों नहीं बचे हैं

    जहाँ हम गुम हो जाएँ

    हमारे जंगल कौन चुरा रहा मिस्टर कुमार?

    आप हमारे ग्रुप फ़ोटोग्राफ़ मेल करेंगें

    क्या आप ख़ूबसूरत जंगल मेल कर सकेंगे मिस्टर कुमार?

    स्रोत :
    • रचनाकार : श्रीधर करुणानिधि
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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