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गुल मकई!! गुल मकई!! गुल मकई!!

gul maki!! gul maki!! gul maki!!

हेमंत देवलेकर

हेमंत देवलेकर

गुल मकई!! गुल मकई!! गुल मकई!!

हेमंत देवलेकर

कौन है ये गुल मकई?

डरती नहीं जो बंदूक़ों से

डटी रहती बेख़ौफ़

उनकी धमकियों के सामने

ढहा दिए सैकड़ों मदरसे जिन्होंने

उजाड़ दी स्वात घाटी

तबाह कर दी बेपनाह ख़ूबसूरती और शांति

निकाले फ़तवे

कि लड़कियों का पढ़ना हराम है

हराम है उनका साँस लेना खुली हवा में

क़दम क़दम पर बारूद की तरह बिछा

ख़ौफ़ शरीयत क़ानून का

कौन है ये गुल मकई?

जो पूरी घाटी में दौड़ती

इंक़लाबी आँधी की तरह

जो लड़कियों के लिए इल्म की

तालीम की बात करती

जो लड़कियों के हक़ के लिए लड़ती

कौन है, कौन है गुल मकई?

हर कोई हैरान है

साँप सूँघ गया हो

इस क़दर तालिबान है

स्रोत :
  • रचनाकार : हेमंत देवलेकर
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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