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अहमदाबाद-1981

ahamadabad 1981

अनुवाद : वर्षादास

मंगळ राठोड़

अन्य

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मंगळ राठोड़

अहमदाबाद-1981

मंगळ राठोड़

और अधिकमंगळ राठोड़

    उन लोगों ने

    गांधीजी की आँखों पर

    पट्टी बाँध दी

    और हम में से

    किसी-किसी को

    थोड़ा-थोड़ा दिखता था

    वे सारे अंध हो गए।

    उन लोगों ने

    गांधीजी के कान में

    रूई का गाला घुसेड़ दिया

    और हममें से

    किसी-किसी को

    जो थोड़ा-थोड़ा सुनाई देता था

    वे सारे बधिर हो गए।

    उन लोगों ने

    गांधीजी के मुँह में गोला ठूस दिया

    और हम में से

    किसी को कुछ सच बोलना था

    वे मूक हो गए।

    वे लोग

    कंगाल थे या समृद्ध थे?

    वे लोग

    (तबीबी) विद्यार्थी थे या हिंसार्थी थे?

    वे लोग

    क्रांतिकारी थे या रूढ़िवादी थे?

    वे लोग तेजस्वी थे या मेदस्वी थे?

    एक मृत महात्मा से डर रहे—

    वे लोग

    कितने प्रतिशत सोने के थे? या पीतल के थे?

    एक अंध, बधिर और मूक नगर

    अब सदियों तक करता रहेगा

    अगर मगर...!

    स्रोत :
    • पुस्तक : आधुनिक गुजराती कविताएँ (पृष्ठ 36)
    • संपादक : वर्षा दास
    • रचनाकार : मंगल राठोड़
    • प्रकाशन : साहित्य अकादेमी
    • संस्करण : 2020

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