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ग़रीब की मौत

gharib ki maut

राकेश कबीर

अन्य

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राकेश कबीर

ग़रीब की मौत

राकेश कबीर

और अधिकराकेश कबीर

    ग़रीब आदमी जब मर जाता है तो

    पैदल नहीं चल सकता

    गाड़ी पर तो बिल्कुल नहीं चढ़ सकता

    वह साइकिल के अगले डंडे पर तो क्या

    पिछले कॅरियर पर भी नहीं बैठ सकता

    ऐसे में उसे जंगल से बटोरी गई

    लकड़ी के गट्ठे की तरह

    लंबा बाँध के ले जाना पड़ता है

    या कंधे पर लादकर

    ढोकर ले जाना पड़ता है

    क्योंकि मरने के बाद आदमी

    तो चल सकता है

    ही साइकिल-मोटर पर चढ़ सकता है

    वह तो धरती को बोझ होता है

    जिसे उसके जैसा ग़रीब आदमी

    बामुश्किल ढोता रहता है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : कुँवरवर्ती कैसे बहे (पृष्ठ 88)
    • रचनाकार : राकेश कबीर
    • प्रकाशन : ज्ञान गंगा, दिल्ली

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