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घर से भागी हुई लड़की

ghar se bhagi hui laDki

महेश चंद्र पुनेठा

अन्य

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महेश चंद्र पुनेठा

घर से भागी हुई लड़की

महेश चंद्र पुनेठा

और अधिकमहेश चंद्र पुनेठा

    परीक्षा में फ़ेल हो जाने पर

    या माँ-बाप से लड़कर

    घर से भाग जाता है लड़का

    दुःख व्यक्त करते हैं लोग

    लड़का कहीं कर लेता है

    दो रोटी का जुगाड़

    या फिर कुछ दिन घूम-फिरकर

    लौट आता है अपने घर

    ख़ुशियों से भर जाता है घर

    जैसे लंबे सूखे के बाद

    वर्षा की बूँदों का झरना

    पतझड़ के बाद बसंत का जाना

    सौतेली माँ के उत्पीड़न से

    या शराबी बाप के आतंक से

    घर से भाग जाती है लड़की कभी

    गाँव भर में शुरू हो जाता है

    चर्चाओं का उफान

    आँगन हो

    गली हो

    पनघट हो

    या चाय की दुकान

    ही जाती है उसके भागने की बात

    तरह-तरह की आकांक्षाएँ

    संबंधों की बातें

    जितने मुँह उतने अफ़साने

    दो-चार दिन में लौट आती है लड़की

    घर में बढ़ जाता है तनाव

    कहीं कोई ख़ुशी नहीं

    मर क्यों नहीं गई

    मर ही जाती

    क्यों लौट आई यह लड़की।

    स्रोत :
    • रचनाकार : महेश चंद्र पुनेठा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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