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गद्यमय

gadymay

राजेश सकलानी

तुम काफ़ी अच्छे गद्य हो

इतने भी सुगठित नहीं कि बुरे लगो

कविता की तरह नहीं दिखो तो अच्छा है

व्याकरण और विरामादि चिह्नों की ग़लतियाँ

जन-सम्मत हैं

भाषा में लड़खड़ाते भी तुम अच्छे लगते हो

लहज़ों के अविष्कार में तो तुम्हारा

कोई जवाब नहीं

तुम अपने हालात का बयान करते हो

मैं उसे आत्मा की बोली में बदल लेता हूँ

पद्यमय होने की पिलपिली कोशिश

मत करना

वह मैं चुपके से कभी कर लेता हूँ

और सारी रचनाओं को छिपा देता हूँ

तुम्हारे साथ से मेरा बदन

ठोस और वज़नदार है

यह तय है मैं गिरने वाला नहीं हूँ

यानी कि हम सब मज़बूती से

खड़े हैं

वे औरतें भी कम गद्यमय नहीं हैं

जिनकी श्रमशील मांसपेशियाँ रोज़

मनुष्यता अर्जित करती हैं और

उनके दाम के बारे में नहीं सोचतीं।

स्रोत :
  • पुस्तक : पानी है तो फूटेगा (पृष्ठ 61)
  • रचनाकार : राजेश सकलानी
  • प्रकाशन : परिकल्पना प्रकाशन
  • संस्करण : 2019

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