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सपने और समाज

sapne aur samaj

अमर दलपुरा

अन्य

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अमर दलपुरा

सपने और समाज

अमर दलपुरा

और अधिकअमर दलपुरा

    इतने फूल खिले हैं

    फ़रवरी के छोटे महीने में

    आँख की दूरी तक सरसों के फूल

    चने के कत्थई फूल

    इतनी घासों के इतने बेनाम फूल

    जो खिले हुए हैं मेरे पैरों के आस-पास

    जब प्यार का फूल रहा खिल रहा था

    इस दिल की ज़मीन पर

    मैं कहाँ देखती थी इन अनाम फूलों को

    सारे दिन कैसे-कैसे सपने बुनती थी

    कैसी-कैसी बातें सोचती थी

    जिनकी कोई ज़मीन थी

    कोई आकाश

    समाज भी कहाँ होता है इस लायक़

    जहाँ सपने फूलों की तरह खिल सकें

    और फूलों को सपनों की तरह देख सकें

    स्रोत :
    • रचनाकार : अमर दलपुरा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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