Font by Mehr Nastaliq Web

मुरझाए नारंगी-वृक्ष का गीत

murjhaye narangi vriksh ka geet

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

अन्य

अन्य

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

मुरझाए नारंगी-वृक्ष का गीत

फेदेरीको गार्सिया लोर्का

और अधिकफेदेरीको गार्सिया लोर्का

    लकड़हारे !

    काट दो मेरी छाया,

    मुक्त कर दो मुझे

    फलहीन होने की मेरी यातना से।

    क्यों जन्मा मैं आइनों से घिरा?

    समय लगाता है मेरे फेरे

    और रात फिर-फिर उगाती है मुझे

    अपने हरेक तारे में।

    मैं जीना चाहता हूँ।

    अपने को बिना देखे

    और मैं देखूँगा सपना

    चींटियाँ और गिद्ध हैं

    मेरी पत्तियाँ और पखेरू।

    लकड़हारे!

    काट दो मेरी छाया,

    मुक्त कर दो मुझे

    फलहीन होने की मेरी यातना से।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 426)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : फेदेरीको गार्सिया लोर्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए