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एक माँ की मौत

ek man ki maut

अनुवाद : देवी नागरानी

अतिया दाऊद

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अतिया दाऊद

एक माँ की मौत

अतिया दाऊद

और अधिकअतिया दाऊद

    ज़िंदगी मेरे बच्चे के गाल-सी मुलायम

    और कहकहों जैसी मधुर है

    उन मधुर सुरों पर झूमते सोचती हूँ

    मौत क्या है...? मौत क्या है...?

    क्या मौत बेख़बरी की चादर है?

    जिसे ओढ़कर इतनी मैं पराई बन जाऊँगी

    अपने बच्चे की ओर भी देख पाऊँगी

    मौत अँधेरे की मानिंद मेरी रागों में उतर जाएगी!

    आख़िर कितना गहरा अँधेरा होगा

    क्या मेरे बच्चे का चेहरा

    रोशनी की किरण बनकर मेरे ज़हन से नहीं उभरेगा?

    मौत कितनी दूर, आख़िर मुझे ले जाएगी

    क्या अपने बच्चे की आवाज़ भी मुझे सुनाई नहीं देगी?

    मौत का ज़ायका कैसा होगा?

    और भी कड़वा या इतना लजीज़

    जब मांस चीरते रग-रग दर्द में तड़पी थी

    दर्द के गरिया में गोता लगाकर

    एक और मांस मैंने तख़्लीक किया था

    क्या ममता के आड़े भी

    मौत के समंदर की लहर तेज़ है?

    मेरे बच्चे के आँसू

    उस बहाव में मुझे क्या बहने देंगे?

    आख़िर कब तक मैं खामोश रहूँगी

    अपने बच्चे को सीने से लगाए बिना

    साफ़-सुथरे कफ़न में लिपटी हुई

    अकेली किसी अनजान दुनिया की ओर चली जाऊँगी

    मौत, मेरे गले में अटका हुआ इक सवाल है

    और ज़िंदगी

    मेरे बच्चे का दिया हुआ चुंबन!

    स्रोत :
    • पुस्तक : एक थका हुआ सच (पृष्ठ 89)
    • रचनाकार : अतिया दाऊद
    • प्रकाशन : श्री प्रकाशन, दिल्ली
    • संस्करण : 2017

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