Font by Mehr Nastaliq Web

एक कविता उसके लिए

ek kavita uske liye

सत्यम तिवारी

अन्य

अन्य

सत्यम तिवारी

एक कविता उसके लिए

सत्यम तिवारी

और अधिकसत्यम तिवारी

    यह उन दिनों की बात है मैं लौट रहा था जीवन की तरफ़

    और उसकी आवाज़ धीरे-धीरे मुझमें जान भरने लगी थी

    उसकी कविताओं ने सुंदरता से मेरा परिचय कराया

    जीवन, जो घड़ी की सुईयों के मानिंद घूमता रहा

    उसी से मैंने सीखा नाक की सीध में

    बढ़ते जाने का मुकम्मल पैंतरा

    यह उन्हीं दिनों की बात है

    मैं लौट रहा था जीवन की तरफ़

    जब किसी ने टेलीफ़ोन पर

    उसके असमय चले जाने की सूचना दी

    उसके असमय चले जाने को लेकर सोचता हूँ

    तो 'अकाल मृत्यु वो मरे जो काज करे चांडाल का'

    कितना अश्लील लगने लगता है

    कितनी बेतुकी लगती है यह सहानुभूति

    कि 'अच्छे लोगों को ईश्वर अपने पास जल्दी बुला लेता है'

    यह उन दिनों की बात है

    जब देवता मन मुताबिक़

    सूरज डुबा और उगा सकते थे

    आराधना में हुई चूक से रूसकर

    अक्सर बंद कर लेते थे अपने कपाट

    यह उन दिनों की बात है

    जब देवता से डराने के स्थान पर

    वह अपने प्रेम की सौगंध देता रहा

    यह उन दिनों की बात है

    जब लाख चाहते हुए भी

    मुझे माननी ही पड़ी

    मृत्यु के तय समय से आने वाली बात

    कि उसे भला क्या हड़बड़ी होगी

    और यह भी कि सरकारी नौकरियों की

    प्रवेश-परीक्षाओं की तरह

    वह जब भी आई

    हमें यही लगा कि थोड़ा और वक़्त तो

    मिलना ही चाहिए था।

    स्रोत :
    • रचनाकार : सत्यम तिवारी
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए