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एक कमरे में इकट्ठा

ek kamre mein ikattha

येहूदा आमिखाई

अन्य

अन्य

येहूदा आमिखाई

एक कमरे में इकट्ठा

येहूदा आमिखाई

और अधिकयेहूदा आमिखाई

    एक कमरे में इकट्ठा

    तीन या चार लोगों में से

    कोई एक

    खड़ा होता है बराबर खिड़की पर

    देखने को अन्याय—कँटीली झाड़ियों में,

    पहाड़ियों पर आग।

    और लोग जो गए थे दिन में

    समूचे, शाम को लौटते हैं घर,

    ख़ुदरा पैसों की तरह

    एक कमरे में तीन या चार लोगों में

    से कोई एक

    बराबर खड़ा होता है खिड़की पर

    उसके सोच के ऊपर काले गहराते बाल,

    और उसके पीछे (होते हैं) शब्द

    और उसके सामने शब्द—

    भटकते

    बिना सामान के

    हृदय भटकता बिना रसद के,

    आगत बिना जल के।

    और भारी पत्थर

    रख दिए गए, वहाँ-—

    रहते हैं, बंद, चिट्ठयों की तरह।

    जिन पर कोई पता नहीं,

    और जिन्हें लेने वाला भी

    कोई नहीं!

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्यास से मरती एक नदी (पृष्ठ 350)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : येहूदा आमिखाई
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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