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एक कम मादक स्त्री

ek kam madak stri

तजेंद्र सिंह लूथरा

अन्य

अन्य

तजेंद्र सिंह लूथरा

एक कम मादक स्त्री

तजेंद्र सिंह लूथरा

और अधिकतजेंद्र सिंह लूथरा

    वो सुंदर कम थी

    कम मादक भी

    पर नादान बहुत

    और निश्चल भी थी।

    ढेर-सा अपनापन लिए

    समेट लेती थी मुझे

    जैसे माँ अपनी छाती में।

    कभी बनकर बच्ची

    बैठ जाती थी गोद में

    करती थी खिलवाड़

    मेरी नाक खींचकर।

    और कभी होकर स्त्री

    भर देती थी उत्तेजना से

    फिर बदल देती थी

    सारा पतन प्रेम में

    और सारी वासना विश्वास में।

    फिर कभी पुराने दोस्त जैसी

    गहरी नज़रों से

    सहला देती थी पीठ।

    कभी खला नहीं उसका

    कम मादक होना।

    स्रोत :
    • रचनाकार : तजेंद्र सिंह लूथरा
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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