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एक दिन

ek din

अरमान आनंद

अन्य

अन्य

अरमान आनंद

एक दिन

अरमान आनंद

और अधिकअरमान आनंद

    एक दिन सबको जाना ही होता है

    और आप नितांत अकेले पड़ जाते हैं

    फिर क्या करते हैं

    क्या करते हैं जब कोई बातें करने वाला

    और बेमतलब का लड़ने वाला हो

    आप बहुत कुछ सुनना चाहते हों

    और कोई कहने वाला हो

    मैं अंतरात्मा के कुएँ में झाँकता हूँ

    अपनी परछाइयों पर कंकड़ मारता हूँ

    और अपने ही चेहरे को ध्यान से देखता हूँ

    जो पानी की तरंगों पर उतराती हैं

    फैलती-सिकुड़ती हैं

    और धरती की छाती पर

    रोपाता हूँ एक पौधा

    फूलों के खिलने का इंतज़ार करता हूँ

    बच्चों से दोस्ती करता हूँ

    उनके बड़े होने का वक़्त है

    वे इतनी भी जल्दी छोड़कर नहीं जाते

    मुझे इंतज़ार पसंद है

    मैंने तुम्हारे इंतज़ार में भी लंबी उम्र काटी है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : अरमान आनंद
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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