दुनिया का कोण

duniya ka kon

नवीन रांगियाल

नवीन रांगियाल

दुनिया का कोण

नवीन रांगियाल

दुनिया के जिस कोण पर मैं पैदा हुआ

वहाँ से शेष दुनिया पूरी तरह बदल चुकी है

वहाँ से मैं बहुत पीछे रह गया हूँ

जीवन में भी और प्रेम में भी

बावजूद इसके

मैं उसी दुनिया में रहना चाहूँगा

जिस कोण पर मैं पैदा हुआ

वहाँ से तुम समंदर में नहाती कोई अप्‍सरा नहीं हो

जिसके पानी में नमकीन हो गया हो तुम्‍हारा बदन

कि तुम्‍हारे बदन के पीछे-पीछे चला आऊँ

मैं अपने मन में तुम्‍हें रोटी में डाले गए नमक के जितना याद रखता हूँ

देह की गंध की तरह

इस दुनिया में

मुझे किसी के पीछे भागने की कोशिश नहीं करनी पड़ती

तुम्‍हारे पीछे और अपने से आगे कहीं

मैं अपनी जगह पर सबसे आगे हूँ

सबसे ऊपर हूँ

क्‍योंकि दुनिया में जितना भी आगा-पीछा और ऊपर-नीचे है

वह सब मेरे भीतर है

स्रोत :
  • रचनाकार : नवीन रांगियाल
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए द्वारा चयनित
हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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