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डूबना

Dubna

शाम्भवी तिवारी

अन्य

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और अधिकशाम्भवी तिवारी

    मैं झाँक रहा हूँ उसमें

    जिसमें मेरे डूबने की शुरुआत हो चुकी है

    पंखों-सी तेज़ रफ़्तार से

    मैं तलछट की ओर बढ़ रहा हूँ

    और लहरें मुझे निर्वात की तरह खींच रही हैं

    पर मेरा मेरी ओर झाँकना ज़ारी है।

    झुकती जा रही है मेरी रीढ़हीन पीठ

    और दो अंगुल रह गई है

    दूरी मेरे भी डूब जाने में

    मेरे ही साथ

    पर जिज्ञासा भरी मेरी आँखों और

    सहारे को छटपटाती मेरी उँगलियों के बीच

    अब भी जल पारिस्थितिकी की भरी-पूरी दीवार है

    जिसकी निरंतरता में से होकर

    कभी नहीं बन पाएगा मुझे डुबाने

    या मुझे बचाने का कैसा भी रास्ता!

    जालों, अस्थियों, लावारिस लाशों इत्यादि के स्पर्श समेटे

    इन सबका विष अपनी धमनियों में भरे जब मैं

    समा जाना चाहूँगा किसी अज्ञात, असीम, जलचर के अथाह पेट में,

    तब मेरी जाती चेतना को उसकी अनुपस्थिति का आभास होगा

    और तब मेरे अभियोगी मुँह से ही निकलेगी

    प्रकृति के शाप की पहली ध्वनि

    सभ्यता के परिहार की कातर प्रार्थना

    और पश्चाताप की मूक चीत्कारें

    जो किसी प्लास्टिक की फड़फड़ाहट में

    सहज ही विलीन हो जाएँगी

    पर मैं झाँकता रहूँगा अपनी दुर्दशा की ओर

    मेरे डूब जाने की कोई विशेष भूमिका नहीं बनाई जाएगी

    नहीं मिटेगी मेरे और मेरे बीच वो दो अंगुल की दूरी

    नहीं विलय होगा एक डूबने वाले के लिए

    जल पारिस्थितिकी के सर्वस्व का

    तरंगों के निर्वात में नहीं समा पाएगी पवन

    और नहीं दिखेगा मेरे होने से हो जाने का कोई भी निशान

    अपने रक्त, मवाद, विष्ठा, अस्थि, माँस, प्लास्टिक का एक अंश भी छोड़े बिना

    मैं वैसे डूबूँगा कि मेरे झाँकने में नहीं पाएगा अवरोध

    तलछट नहीं वापस उगल पाएगा मेरा विषपूर्ण अस्तित्व

    जो शायद ढलते भादों की बाढ़ में

    किसी के धँसते पैरों का आधार मात्र बनकर रह जाएगा

    और यह सब होगा यदि मेरे डूबने और झाँकने के बीच कोई नहीं आएगा—

    जल, तरंगें, मैं, तुम

    क्योंकि एक और स्पर्श से बिगड़ जाएगा ये महीन समीकरण

    मैं झाँकना छोड़कर डूब जाऊँगा

    मिट जाएगी आवश्यक अस्पृश्यता की दो अंगुल दूरी

    और तरंगों के धक्के से बिगड़े प्रतिबिंब की तरह मुझे देख

    नदी नहीं झेल पाएगी मेरा भयावहता

    और फिर मुझ डूबते की ओर किसी का भी झाँकना अकल्पनीय होगा।

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