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दोस्त बचपन के

dost bachpan ke

राज्यवर्द्धन

राज्यवर्द्धन

दोस्त बचपन के

राज्यवर्द्धन

एक दिन ख़बर मिली

लंगोटिया यार को

मार गया है फ़ालिज़

थोड़ी देर के लिए सुन्न हो गई मेरी देह

लगा मेरे अंग ने भी

बंद कर दिया हो काम करना

एक मित्र

पिछली रात अस्पताल में भर्ती हुआ

डॉक्टर ने कहा—

करना होगा बाई पास सर्जरी

लगा कि ऑपरेशन टेबल पर

मैं ही लेटा हूँ

कुछ साल पहले

एक दोस्त को टेलीविजन पर

राष्ट्रपति के हाथों शिखर सम्मान लेते देख

मन गदगद हो गया था

लगा महामहिम

मुझे ही कर रहे हों सम्मानित

एक दोस्त

जिसका क़द जवान होने पर भी

साठे चार फ़ीट ही रह गया था

उसकी अकाल मृत्यु की ख़बर

बहुत दिनों के बाद किसी अन्य मित्र से मिली

सारी रात उसकी असफल प्रेम कहानी को यादकर सुबकता रहा

जो उसने कभी रो-रो कर सुनाई थी

एक दोस्त के बेटे की शादी में

बीमारी की वजह से

शरीक नहीं हो पाया

व्हाट्सएप्प पर शादी का वीडियो भेजा है

वर-वधू को वह दे रहा है आशीर्वाद

लगा कि दुआ में जैसे मेरे ही हाथ उठे हों

एक दोस्त की बेटी की शादी

असफल हो गई

कचोटता है मन

मेरी शुभेच्छा कैसे निष्फल हो गई

एक मित्र के प्रतिभाशाली बच्चे की

दुर्घटना में अकस्मात मौत हो गई

लगा मेरे ही ऊपर दुःख का पहाड़ टूट पड़ा हो

आपना ही बच्चा खोया हो

दोस्त को आज तक

सांत्वना देने का साहस नहीं हुआ

बचपन के दोस्त और दोस्ती ऐसी ही होती है

दोस्तों का दुःख जाने

कैसे अपना दुःख हो जाता है

उसका सम्मान भी

अपनी ही उपलब्धि लगती है

ईर्ष्या-द्वेष अहम

कहाँ रहता है भला

वह चाहे जितना बड़ा क्यों हो जाए

हमारे लिए जीवनपर्यंत

भोलिया, नवीनवा अशोकवा और बिजय्या ही रहेगा।

स्रोत :
  • रचनाकार : राज्यवर्द्धन
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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