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दिल्ली शहर में आइसक्रीम ख़रीदते हुए

dilli shahr mein icecream kharidte hue

राजकमल चौधरी

अन्य

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राजकमल चौधरी

दिल्ली शहर में आइसक्रीम ख़रीदते हुए

राजकमल चौधरी

और अधिकराजकमल चौधरी

    श्री. होटल के जिस कमरे में रहते हैं हम लोग उसकी तिकोनी

    खिड़कियाँ फ़र्श से शुरू होती है नंगे टखने

    नंगी पिंडलियाँ देखने के लिए।

    एक औरत अपने ख़ाली पर्स का मुँह खोलकर किसी दुकान के

    पिछले दरवाज़े में घुसती है हम लोग देर तक

    शेव करते रहते हैं।

    दूतावासों की ओर चले जाने के लिए अजमल ख़ाँ रोड की

    लंबाई हमारे घुटनों से शुरू होकर उसके

    ख़ाली पर्स में फिसल जाती है

    पिघले हुए आइसक्रीम की तरह (शाम के वक़्त) चौराहों पर

    खड़े होते ही

    हम लोगों को अपने बचपन की गलियों में सोए हुए

    लावारिस कुत्ते की आवाज़ पुकारती है

    वापस चले आओ

    अभी साइरन बजेगा वापस चले आओ अभी प्रधानमंत्री का

    भाषण होगा वापस चले आओ अभी

    वितरण होगा राजभक्तों को पुरस्कार अब तुम लोग

    वापस चले आओ

    लेकिन जो लोग भूल चुके हैं अपना नाम अब कहाँ

    वापस जाएँगे तिकोनी खिड़कियों के अंदर

    झाँकने का तमाशा छोड़कर

    क्यों वापस चले जाएँगे अकाल-ग्रस्त इलाक़ों में रिलीफ़

    अन्न का हिस्सा माँगने के लिए?

    स्रोत :
    • पुस्तक : ऑडिट रिपोर्ट (पृष्ठ 104)
    • रचनाकार : राजकमल चौधरी
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2006

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