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देश : दनदनाती गोली

desh ha dandanati goli

मोना गुलाटी

अन्य

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मोना गुलाटी

देश : दनदनाती गोली

मोना गुलाटी

समय दौड़ में आगे निकल गया है :

सौ मील प्रति

घंटा की रफ़्तार से :

और अब देश का नाम लेते हुए

भी कोफ़्त होती है!

मेरा देश!

इस शब्द का अर्थ अब चिंगारी

बन रक्त में नहीं फूटता :

ही उठती है आग की कोई

लपट :

इस ध्वनि पर

जो बदल सके मंत्र से महक तक :

समय के साथ

सौ मील की रफ़्तार पर पीछे दौड़ने से साफ़-साफ़

दिखाई देता है :

ख़ून को सैलाब!

ख़ून का सैलाब;

उबलता हुआ लावा :

गर्म रक्त की जोशीली आवाज़

बचपन में किया हुआ अफ़सोस

कि हम

पैदा होने तक में पिछड़ गए :

और

बंकिमचंद्र से भगत सिंह तक;

हमसे बाज़ी मार ले गए,

सीने को चीरती हुई चली गई

दनदनाती हुई गोली!

दनदनाती हुई गोली का

कोहराम

आज भी है :

देश की मिट्टी को चीकट करता हुआ :

बदनाम लावा!

समय दौड़ में आगे निकल गया है : सौ मील की

रफ़्तार से :

‘देश’ का अर्थ जिघांसा, नपुंसकता, पराजय,

व्यभिचार, भ्रष्टाचार, ग़रीबमार, अनाचार, झुके हुए

चेहरे, सिकुड़े हुए पेट; पुलिस के गंदे गाली-गलौच

और भेड़िया चाल, आस्तीन के साँप;

बदबूदार नाली

में कब बदल गया?

समय की तेज़ रफ़्तार

ने इस बात की ख़बर

तक नहीं लगने दी!

अब

इस देश में

नागरिक अधिकारों; स्वतंत्रता

स्वाधीनता की

बात करना :

गाली देना है!

काश! मेरे लिए

देश के बाहर

देश होता या होता देश के

भीतर देश :

खुर पंजों की तेज़ी लिए!

ताकि बार-बार के

ग़लीज़ अफ़सोस और तलाश से गुज़रते हुए

कभी-कभी

चाहे अकस्मात् ही दिख जाता

फैला हुआ आकाश :

देश : देश;

तुम हथेली का सुंदर

नक़्शा

बन जाओ :

ताकि जुड़े रहें प्रार्थनारत : गद्गद् हाथ :

तुम्हारे

कंधों को

थपथपाते हुए!

स्रोत :
  • पुस्तक : सोच को दृष्टि दो (पृष्ठ 40)
  • रचनाकार : मोना गुलाटी

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