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बिटिया के देखने पर

bitiya ke dekhne par

आशुतोष प्रसिद्ध

अन्य

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आशुतोष प्रसिद्ध

बिटिया के देखने पर

आशुतोष प्रसिद्ध

और अधिकआशुतोष प्रसिद्ध

    तुम जो अभी-अभी

    खोल रही हो आँख

    इस चौंधियाए हुए संसार में

    तुमसे बस इतना कहना है—

    कि अब

    कभी बंद करना आँख

    खोले रहना

    सोते हुए

    कुछ पाते हुए भी

    कुछ खोते हुए भी

    तब भी खोले रहना

    जब करना प्रेम

    और तब भी

    जब सब एक तरफ़ से

    कह रहे हों

    दिल से सोचकर देखो

    तुम अड़ी रहना इस बात पर

    कि देखना

    तो बस आँख से होता है।

    तुम देखना सुंदर भी,

    अ-सुंदर भी

    पुण्य भी, पाप भी

    हिंसा भी और अहिंसा भी

    बस घबराना नहीं

    जब कोई तुम्हारे देखने के विरोध में

    तुम्हें देर तक

    किसी शत्रु की तरह देखे

    तब तुम भी उतनी ही शत्रुता

    और घृणा से देखना

    पुण्य देखते हुए मुस्कुराना,

    पाप देखते हुए चढ़ जाना पाप की छाती पर

    किसी देवी की तरह छाती को चीरने

    देखना

    कभी ख़ुशी और मुस्कान के साथ

    कभी पूरी ताक़त के साथ

    देखना सबको

    देखना सब कुछ

    और

    जब कभी ज़रूरत पड़े

    देख लेना सबको…

    स्रोत :
    • रचनाकार : आशुतोष प्रसिद्ध
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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