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दसों दिशाओं में

dason dishaon mein

नवल शुक्ल

अन्य

अन्य

नवल शुक्ल

दसों दिशाओं में

नवल शुक्ल

और अधिकनवल शुक्ल

    बारिश हो, हो बारिश

    चोटियाँ असंख्य

    मुँह में सफ़ेद अंडे दबाए

    पृथ्वी पर गुज़र जाएँ

    सुगंध उठे मिट्टी की

    आकाश तक फैल जाए

    किसानों की टिटकारी

    दुनिया भर के बच्चे

    गलियों में, सड़कों पर

    दौड़ें, चिल्लाएँ, भीग-भीग जाएँ

    भर जाएँ नदी, नाले, तालाब

    महँगे जूते सड़ जाएँ।

    बंद हो जाएँ महल, अटारी, गेट

    मेंढक टर्राएँ

    फैलती चली जाए पूरी पृथ्वी पर

    घास, पतवार, झाड़, झंखाड़

    बचे-खुचे पेड़ लहराएँ

    ऐसी बारिश हो

    हो बारिश

    कि सबसे पहले और बाद में

    ख़ूब फुदके गौरैया

    उसकी आवाज़

    दसों दिशाओं में फैल जाए।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दसों दिशाओं में (पृष्ठ 32)
    • रचनाकार : नवल शुक्ल
    • प्रकाशन : आधार प्रकाशन
    • संस्करण : 1992

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