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चींटियाँ

chintiyan

महेश आलोक

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महेश आलोक

चींटियाँ

महेश आलोक

और अधिकमहेश आलोक

    जहाँ वे रहती हैं

    वह पृथ्वी की सबसे सुरक्षित जगह है

    वे अब नमक भी चाटती हैं

    मिठास को पृथ्वी के एक छोर से

    दूसरे छोर तक ले जाने के लिए

    कविता में जितनी मिठास और नमक है

    वे उससे अभिज्ञ नहीं हैं

    वे नहीं डरतीं किसी तानाशाह के मोर्टार से

    वे डरती हैं चींटियों से जो अपने क़द से

    इतनी लंबी हो गई हैं जितनी तानाशाह की मूँछ

    तानाशाह जिसे ऐंठते हुए चलाता है मोर्टार

    हरी घास पर दौड़ती हुई चींटियाँ

    सबसे ज़्यादा सुरक्षित हैं कविता में

    जहाँ सबसे ज़्यादा सुरक्षित है पृथ्वी

    और कविता से भागने की कोशिश करता तानाशाह

    और शायद ईश्वर

    स्रोत :
    • रचनाकार : महेश आलोक
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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