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इस वक़्त स्कूल जा रहे हैं बच्चे

is waqt school ja rahe hain bachche

सुदीप बनर्जी

अन्य

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सुदीप बनर्जी

इस वक़्त स्कूल जा रहे हैं बच्चे

सुदीप बनर्जी

और अधिकसुदीप बनर्जी

    इस वक़्त स्कूल जा रहे हैं बच्चे

    अपनी जैसी भी जाहिल दिनचर्या है

    उसमें कुछ हौसले-से ही दाख़िल हो रहे हैं

    वे भी बच्चे, जिनके लिए स्कूल अभी खुला नहीं है

    वे सभी सूरज के हमदम हैं, हमरक़्स हैं इस वक़्त

    तुम अपनी तामीरे-मुल्क की शानदार तजवीज़ को

    बस इसी वक़्त मत आज़माओ, नसीम को मत भारी करो

    तुम्हारे करिश्मों से, जय-जयकारों से,

    थोड़ी देर के लिए ही सही, बने रहने दो

    इस धरती को इन बच्चों के नसीब की गेंद

    फिर तो तुम्हारा पूरा दिन है

    मास है, साल है, सदियाँ हैं

    पूरा इतिहास है रथ यात्राओं के लिए

    राम रखता है सबको, फिर भी

    राम की रखवाली का तुम्हारा दावा

    हमें तस्लीम, इसी वक़्त मत माँगो

    मुचलका हमसे हमारे नेक चलन का

    इस वक़्त करोड़ों माताएँ रोटी बेल रही हैं

    करोड़ों पिता लौट रहे हैं

    खेतों, कारख़ानों, दफ़्तरों से रही-सही रौशनी को

    अपने अज़ीज़ों के ख़ातिर निसार करने

    तुम्हारे लिए पड़ा है पूरा ज़माना, बस इसी वक़्त

    थोड़ी-सी मोहलत दो ख़ुदा के वास्ते

    यह मुद्दआ मत उठाओ

    कि राम का मंदिर कहाँ बनना है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : प्रतिनिधि कविताएँ (पृष्ठ 58)
    • रचनाकार : सुदीप बॅनर्जी
    • प्रकाशन : मेधा बुक्स
    • संस्करण : 2005

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