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मेघ आए

megh aaye

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

अन्य

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नोट

प्रस्तुत पाठ एनसीईआरटी की कक्षा नौवीं के पाठ्यक्रम में शामिल है।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

आगे-आगे नाचती-गाती बयार चली,

दरवाज़े-खिड़कियाँ खुलने लगीं गली-गली,

पाहुन ज्यों आए हों गाँव में शहर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

पेड़ झुक झाँकने लगे गरदन उचकाए,

आँधी चली, धूल भागी घाघरा उठाए,

बाँकी चितवन उठा, नदी ठिठकी, घूँघट सरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

बूढ़े पीपल ने आगे बढ़कर जुहार की,

‘बरस बाद सुधि लीन्हीं’—

बोली अकुलाई लता ओट हो किवार की,

हरसाया ताल लाया पानी परात भर के।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

क्षितिज अटारी गहराई दामिनि दमकी,

‘क्षमा करा गाँठ खुल गई अब भरम की’,

बाँध टूटा झर-झर मिलन के अश्रु ढरके।

मेघ आए बड़े बन-ठन के सँवर के।

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सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

सर्वेश्वरदयाल सक्सेना

स्रोत :
  • पुस्तक : क्षितिज भाग-1 (पृष्ठ 98)
  • रचनाकार : सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
  • प्रकाशन : एन.सी. ई.आर.टी
  • संस्करण : 2022

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