बुख़ार, ब्रेक-अप, आई लव यू

bukhar, break ap, i lawa yu

शुभम श्री

शुभम श्री

बुख़ार, ब्रेक-अप, आई लव यू

शुभम श्री

 

104 डिग्री

अब पुलिस मुझे आई.पी.सी. लगाकर गिरफ़्तार कर ले
तो भी नहीं कहूँगी कि मैंने तुमसे प्रेम किया है
प्रेम नहीं किया यार
प्रेम के लायक़ लिटरेचर नहीं पढ़ा
देखो, बात बस ये है कि...
...कि तुम्हारे बिना रहा नहीं जा सकता।
कहो तो स्टांप पेपर पे लिख के दे दूँ
नहीं... नहीं... नहीं...

मैंने तुम्हारे दिमाग़ का दही बनाया है
लड़ाई की है, तंग किया है?
हाँ, किया है
तो लड़ लो
(वैसे तुमने भी लड़ाई की है पर अभी मैं वो याद नहीं दिला रही)
तुम भी तंग कर लो
ब्रेक-अप क्यों कर रहे हो?
ये मानव अधिकारों का कितना बड़ा उल्लंघन है
कि आधे घंटे तक फ़्रेंच किस करने के बाद तुम बोलो : 
हम ब्रेक-अप कर रहे हैं!

102 डिग्री

अफ़सोस कि मैं कुछ नहीं कर सकती
तुम्हारा ‘नहीं’ चाहना
इस ‘नहीं’ को हाँ कैसे करूँ, कैसे?
प्लीज़ बोलो ना
‘नहीं’ दुनिया का सबसे कमीना शब्द है
उससे भी ज़्यादा है ‘ब्रेक-अप’

अब एक प्यारे से लड़के की याद में
होमर बनने का क्या उपाय है दोस्तों?
चाहती हूँ वो लिखूँ... वो लिखूँ... कि
आसमान रोए और धरती का सीना छलनी हो
पानी में आग लगे, तूफ़ान आए
पर रोती भी मैं ही हूँ, सीना भी मेरा ही छलनी होता है
आग-तूफ़ान सब मेरे ही भीतर हैं
बाहर सब बिंदास नॉर्मल रहता है
काश पता होता
प्यार कर के तकलीफ़ होती है
काश
(हज़ारों सालों से कहते आ रहे हैं लोग लेकिन अपन ने भाव कहाँ दिया... देना चाहिए था)

99 डिग्री

तुम्हें याद है जब एग्ज़ाम्स के वक़्त मुझे ज़ुकाम हुआ था
कैसे स्टीम दिला-दिला कर तुमने पेपर देने भेजा था
और बारिश में भीग कर बुख़ार हुआ था
तो कितना डाँटा था
अब भी बुख़ार आता है मुझे
आँसू भी आने लगे हैं आजकल साथ में

कितनी आदतें बदलनी पड़ेंगी
ख़ुद को ही बदल देना पड़ेगा शायद
जैसे कि अब बेफ़िक्र नहीं रहा जा सकता
ख़ुश नहीं हुआ जा सकता कभी
और
सेक्स भी तो नहीं किया जा सकता

वो सारी किसेज़ जो पानी पीने और सूसू करने जितनी ज़रूरी थीं ज़िंदगी में
किसी सपने की मानिंद ग़ायब हो गई हैं...
ओह कितनी यादें हैं, फ़िल्म है पूरी
कभी ख़त्म न होने वाली
मेरी सब फ़ालतू बातें जिनसे मम्मी तक इरिटेट हो जाती थी
तुम्हीं तो थे जो सुनकर मुस्कुराया करते थे
और तुम, जिसकी सब आदतें मेरे पापा से मिलती थीं
और वो मैसेज याद हैं
हज़ारों एस.एम.एस. मैसेज-बॉक्स भरते ही डिलीट होते गए
उन्हें भरोसा था कि ख़ुद डिलीट होकर भी
उन्होंने एक रिश्ते को ‘सेव’ किया है
दुनिया का सबसे प्यारा रिश्ता...
तुम चिढ़ जाओगे कि ये सब लिखने की बातें नहीं हैं
क्यों नहीं हैं?
तुम्हारे प्यारे होंठों से भी ज़्यादा प्यारे डिंपल
और उनसे भी प्यारी मुस्कुराहट की याद
मुझे सेक्स की इच्छा से कहीं ज़्यादा बेचैन करती है
तुम्हारे शरीर की ख़ुशबू जिसके सहारे हमेशा गहरी नींद सोया जा सकता है
वही तुम, जिसे निहारते हुए लगता है :
काश इसे मैंने पैदा किया होता...
ज़िंदा रहने की चंद बुनियादी शर्तें ही तो हैं न
हवा, पानी, खाना और तुम
तुम...

101 डिग्री

मैं उन तमाम लड़कियों से
जो प्यार में तकिए भिगोती हैं और बेहोश होती हैं
माफ़ी माँगना चाहती हूँ
वो सभी लोग जो बी.पी.एल. सूची के राशन की तरह
फ़ोन रीचार्ज होने का इंतज़ार करते हैं
जो ऑक्सीज़न की बजाय सिगरेट से साँस लेते हैं
वोदका के समंदर में तैरते हैं
हमेशा दुखी रहते हैं
उन पर ली गई सारी चुटकियाँ, तंज़, ताने, मज़ाक़
मैं वापस लेती हूँ

104 डिग्री

और तुम
तुम तो कभी ख़ुश नहीं रहोगे
रिलेशनशिप... अंडरस्टैंडिंग... ईगो... स्पेस...
नहीं जानती थी मैग्ज़ींस से बाहर भी
इन शब्दों की एक दुनिया है

तुम्हारे सारे इल्ज़ाम मैं क़बूल करती हूँ
हाँ, मुझमें हज़ारों कमियाँ हैं
मैंने तुम्हें जंगलियों की तरह प्यार किया है
कि तुम्हें गले लगाने के पहले
फ़्लैट की क़िस्त और इंश्योरेंस पॉलिसी नहीं जोड़ी
अपना साइकोएनालिसिस नहीं किया
हाँ, मुझे नहीं समझ आता ‘ब्रेक-अप’ का मतलब
नहीं आता!
तुम्हें ग़ुस्सा आता है तो आए
लेकिन
आई लव यू
जितनी बार तुम्हारा ब्रेक-अप, उतनी बार मेरा आई लव यू...

स्रोत :
  • रचनाकार : शुभम श्री
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY