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अज्ञात हत्यारे

agyat hatyare

लेस्ली पिंकनी हिल

अन्य

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लेस्ली पिंकनी हिल

अज्ञात हत्यारे

लेस्ली पिंकनी हिल

तो उन्होंने चुपचाप उस पर हमला किया

और उसे खींच ले गए;

उनका षडयंत्र इतना पूर्ण था कि

सरकार ने दिन-दहाड़े जिन नियम और व्यवस्था के प्रहरियों

के हाथ में उसे सौंपा था,

उनको पता तक नहीं चला।

और उन लोगों ने भय से काँपते हुए

उस चिथड़े-चिथड़े हुई लाश को देखा

तो सिर्फ़ यही कह सके—हत्यारे पता नहीं कौन थे?

तो इसी तरह, मेरा यह देश

चुपचाप खींचा जा रहा है,

नैतिक मौत की तरफ़

हत्या की तरफ़;

नक़्क़ारे बजाकर और तुरही बजाकर

यह हत्या नहीं की जा रही है,

बल्कि

कुछ अँधेरे और कुछ उजाले में

लुके छिपे।

लेकिन जब लाश सामने नज़र आएगी

तब इतिहास यह नहीं कह सकेगा कि

हत्यारे पता नहीं कौन थे?

स्रोत :
  • पुस्तक : देशान्तर (पृष्ठ 258)
  • संपादक : धर्मवीर भारती
  • रचनाकार : लेस्ली पिंकनी हिल
  • प्रकाशन : भारतीय ज्ञानपीठ, काशी
  • संस्करण : 1960

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