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भोपाल 1984

bhopal 1984

अनुवाद : तुषार धवल

दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

अन्य

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और अधिकदिलीप पुरुषोत्तम चित्रे

    रहमान, सलमा और मैं

    दुनिया के तीन छोर

    तब भी एक त्रिकोण

    या अल्लाह! परवरदिगार!

    तेरा कोई छोर नहीं

    तू सबका बाप

    रहमान, सलमा और मैं

    अंबर धरती और बरसात

    तब भी एक ही अर्थ

    या अल्लाह! परवरदिगार!

    कयामत तक

    तेरे करिश्में बेमानी हैं

    रहमान भी नहीं

    सलमा भी नहीं

    सिर्फ़ मैं ही हूँ

    या अल्लाह! परवरदिगार!

    यह जग निरुत्तर है।

    स्रोत :
    • पुस्तक : मैजिक मुहल्ला खंड दो (पृष्ठ 15)
    • रचनाकार : दिलीप पुरुषोत्तम चित्रे
    • प्रकाशन : वाणी प्रकाशन
    • संस्करण : 2019

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