Font by Mehr Nastaliq Web

बड़ी हो रही है लड़की

baDi ho rahi hai laDki

रघुवीर सहाय

अन्य

अन्य

रघुवीर सहाय

बड़ी हो रही है लड़की

रघुवीर सहाय

और अधिकरघुवीर सहाय

    जब वह कुछ कहती है

    उसकी आवाज़ में

    एक कोई चीज़

    मुझे एकाएक औरत की आवाज़ लगती है जो

    अपमान बड़े होने पर सहेगी

    वह बड़ी होगी

    डरी और दुबली रहेगी

    और मैं होऊँगा

    वे किताबें वे उम्मीदें होंगी

    जो उसके बचपन में थीं

    कविता होगी साहस होगा

    एक और ही युग होगा जिसमें ताक़त ही ताक़त होगी

    और चीख़ होगी

    लंबी और तगड़ी बेधड़क लड़कियाँ

    धीरज की पुतलियाँ

    अपने साहबों को सलाम ठोकते मुसाहबों को ब्याह कर

    रही होंगी जा रही होंगी

    वह खड़ी लालच में देखती होगी उनका क़द

    एक कोठरी होगी

    और उसमें एक गाना जो ख़ुद गाया नहीं होगा किसी ने

    क़ैदी से छीन कर गाने का हक़ दे दिया गया होगा वह गाना

    कि उसे जब चाहो तब नहीं जब वह बजे तब सुनो

    बार-बार एक-एक अन्याय के बाद वह बज उठता है

    वह सुनती होगी मेरी याद करती हुई

    क्योंकि हम कभी-कभी साथ-साथ गाते थे

    वह सुर में मैं सुर के आस-पास

    एक पालना होगा

    वह उसे देखेगी और अपने बचपन की यादें आएँगी

    अपने बचपन के भविष्य की इच्छा

    उन दिनों कोई नहीं करता होगा

    वह भी करेगी

    स्रोत :
    • पुस्तक : रघुवीर सहाय संचयिता (पृष्ठ 80)
    • संपादक : कृष्ण कुमार
    • रचनाकार : रघुवीर सहाय
    • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
    • संस्करण : 2003

    संबंधित विषय

    यह पाठ नीचे दिए गये संग्रह में भी शामिल है

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए