Font by Mehr Nastaliq Web

बाड़

baaD

पवन चौहान

अन्य

अन्य

और अधिकपवन चौहान

    रोचक तथ्य

    लाड़ी अर्थात पत्नी

    मेरी इस खेत के बाड़ ने

    संभाल रखा है बहुत कुछ

    दे रखी है सुरक्षा

    आवारा डंगरों, कुक्कड़ों

    और उन चोरटे लोगों से भी

    जिनकी नज़र हमेशा रहती है

    हमारी फ़सल, साग-सब्जी

    फल और फूलों पर भी

    खेत पर सजी इस बाड़ की

    हर गाँठ पर लगी है

    मेरी माँ के चादरु

    और पिता के साफ़े की लीरें

    माँ की स्नेहिल छाया ने

    दे रखी है मज़बूती सब लकड़ियों को

    और पिता की छत्रछाया में

    बाड़ खड़ी है सीना तान

    हर बाधा से लड़ने को तैयार

    इस बाड़ ने छुपा रखा है

    और भी बहुत कुछ

    मेरे नन्हे बेटे की अठखेलियाँ

    बाड़ को बुनते-बुनते जो

    निकल आई थी खेत पर

    खेलती रही थी

    बेटे के साथ

    गोधूली पलों तक

    खेत की धूल में

    दिलाती रही थी हमें

    खीझ और ख़ुशी साथ-साथ

    उलझाती रही थी हमें

    हर गाँठ के कसाव के साथ-साथ

    बाड़ के पूरा होने तक

    बाड़ लगने की ख़ुशी में

    लाड़ी मेरी कहे बग़ैर ही

    पिला रही है चाय बार-बार

    क्योंकि अब नहीं चढ़नी पड़ेगी उसे

    तीन मंजिला घर की

    थका देने वाली सीढ़ियाँ

    वह सुखाएगी अब कपड़े इसी बाड़ पर

    रुकी रहेगी उसकी टाँगों की पीड़ा भी

    फूदकेगी चिड़िया भी अब इसी बाड़ पर

    गाएगी मीठे गीत वह

    हम सबके साथ

    काकड़ी, कद्दू, करेले, घीए की बेलें

    बाड़ का हाथ थामे

    चढ़ पाएगीं अब

    ऊँचे पेड़ की नाज़ुक टहनी तक

    नापेंगी वे भी आसमान की बुलंदी

    माँ की ममता और

    पिता के हौंसले ने

    संभाल रखा है

    सब लकड़ियों को एक साथ

    जैसे ताउम्र संभाला उन्होने

    अपना परिवार

    वे यहाँ भी डटे हैं

    मुस्तैदी से

    और बाड़ मेरी गर्व से खड़ी

    कर रही है वादा

    हर फूल, फल, फ़सल और सब्जी से

    उनकी सुरक्षा और ख़ुशहाली का।

    स्रोत :
    • रचनाकार : पवन चौहान
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

    संबंधित विषय

    Additional information available

    Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

    OKAY

    About this sher

    Close

    rare Unpublished content

    This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

    OKAY

    हिन्दवी उत्सव, 27 जुलाई 2025, सीरी फ़ोर्ट ऑडिटोरियम, नई दिल्ली

    रजिस्टर कीजिए