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आत्महत्या मॉय फुट

atmahatya mauy phut

रेखा चमोली

अन्य

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रेखा चमोली

आत्महत्या मॉय फुट

रेखा चमोली

और अधिकरेखा चमोली

    बहुत बार मन करता है तेज़ स्कूटर चलाते हुए

    किसी पहाड़ी मोड़ पर कर लूँ आँखें बंद

    कुछेक मिनट की बात होगी और क़िस्सा ख़त्म

    या फिर कूद जाऊँ छप से

    नदी के गहरे हरे नीले ठंडे पानी में

    जब भरेगा फेफडों में पानी

    तड़पकर बाहर निकलने का होगा मन

    कुछ दिनों बाद फूला भद्दा शरीर फँसा मिलेगा

    किन्हीं पत्थरों की ओट में आधा मछलियों का खाया हुआ

    कभी सोचती हूँ अनमनी बैठी रहूँ देर तक

    पाला बरसाते आसमान के नीचे

    जब तक जमकर लुढ़क जाऊँ एक ओर

    पर पलक झपकते ही झटके से खुल जाती हैं बोझिल आँखें

    पानी पर उभरती है एक छाया

    आसमान में टिमटिमाता है कोई तारा

    इंतज़ार करती दिखती हैं दो जोड़ी आँखें

    आना होता है बार-बार लौटकर वहीं

    जहाँ से उठती हैं मन में ये ख़्वाहिशें

    मरना इतना आसान होता तो कब की ख़त्म हो जाती ये दुनिया

    मरना अपने हाथ में नहीं पर आत्महत्या तो है

    क्या फ़ायदा ऐसे जीवन का जिसमें जीने की कोई लय हो

    अंतहीन चलना हो थकान कभी उतरती हो

    पिछले साल मरने की सोची तो याद आया बिटिया की बोर्ड परीक्षा है

    कैसे सँभालेगी वह अपने आपको

    इस साल सोचती हूँ अभी छोटा है बेटा

    थोड़ा बड़ा हो जाए कर सके अपनी देखभाल

    बार-बार यही होता है

    मरने से ठीक पहले याद जाता है कोई कोई ज़रूरी काम

    मन के चोर कोने से झाँकता है कोई बहाना

    कोई नया अर्थ खुलता है अपने होने का

    माँ का जान-बूझकर मरना कोई आसान बात नहीं

    फिर भी हर सेकेंड मर जाती या मार डाली जाती है कोई कोई माँ

    मरना स्थगित करने के बाद

    शीशे में मुस्कुराता है आँसुओं से भीगा चेहरा

    जानी! जीना कितना भी दुश्वार क्यों हो

    मरने से थोड़ा-सा हसीन तो होता ही है।

    स्रोत :
    • रचनाकार : रेखा चमोली
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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