आशिक़ी अश्क़ के बहाने सब्र भी दे जाए कभी

ashiqi ashq ke bahane sabr bhi de jaye kabhi

उपांशु

उपांशु

आशिक़ी अश्क़ के बहाने सब्र भी दे जाए कभी

उपांशु

जब कभी यह ख़याल कि बस अब और प्यार नहीं कर सकता मैं तुमसे आता है, मैं पूछता हूँ—

तुम्हारी आत्मा पर लगी चोटों को भरते देखने की कल्पना करते हुए,

अपने घावों को ज़्यादा संजीदा मानते हुए—

ख़ुद से कि कितना प्यार कर ही पाया हूँ अब तक।

तुम्हारी आँखों को ढकती पलकों के लिए

गाल पर गिरी पपनी के लिए

मेरी रगों में सिहरती तुम्हारी आवाज़ के लिए

तुम्हारी पुतलियों की भाषा के लिए

और तुम्हारे साथ बिताए गए उन सभी क्षणों के लिए

जब शब्दों की ज़रूरत नहीं महसूस होती है हमें;

कितनी कविताएँ लिखी हैं मैंने कि अब और प्रेम की क्षमता होने का विलाप कर रहा हूँ।

कविताएँ लिख भी नहीं सकता तुम्हारे लिए

शब्द छोटे नहीं पड़ते, उनका अपना अलग चरितार्थ है प्रेम में

नहीं!

शब्द असहज हो जाते हैं

अर्थों से बोझिल यह ज़ोफ़ भावनाओं का विवरण चेहरे की तरह कब कर पाए हैं।

भले ही आसमान पर छिड़की गई लालिमा का आकर्षण शब्दों में नज़र जाता हो,

मैं यह दावे के साथ कह सकता हूँ, वो आकर्षण कुछ पीछे छूट जाने के कारण है,

कि पा लेने का शब्दों से जो अर्थों का बोझ अपनी छाती पर उठाए

हर अर्थ का बखान है सिवाय उसके जो कहा जा रहा है।

इसीलिए जब कभी ख़लल पड़ता है मोहब्बत को महज़ शब्दों से,

सक पाने की इस नीच बेचारगी से;

जब कभी मन होता है कहने का—बस अब और नहीं;

मैं भुला देता हूँ लिखित हर इतिहास जिसे पढ़ने के कारण ही आज तुमसे दूर होता हूँ।

इस क्षण केवल तुम्हारी ध्वनि होती है, बग़ैर मात्राओं के

उच्चारण करते वक़्त गले की कंपन पर ध्यान जाता है,

अक्षर अपने आप लुप्त हो जाते हैं इस वक़्त तक।

मैं भूल जाता हूँ कि तुम मेरे सामने नहीं बैठी हो,

तुम्हारी पुतलियाँ चमक नहीं रहीं,

तुम्हारे नाख़ून तुम्हारे अँगूठे पर दब नहीं रहे।

मैं भूल जाता हूँ कि मैं तुम्हें सुन नहीं सकता,

केवल पढ़ सकता हूँ तुम्हारे शब्द अपने फ़ोन की स्क्रीन पर

और विलाप कर सकता हूँ केवल

कि भाषा की बनाई गई इस धूरी पर इतनी दूर हो जाती हो तुम—

केवल कल्पना में ही मोहब्बत को जीवित रहने का आसरा मिल पाता है।

स्रोत :
  • रचनाकार : उपांशु
  • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

संबंधित विषय

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

Additional information available

Click on the INTERESTING button to view additional information associated with this sher.

OKAY

About this sher

Lorem ipsum dolor sit amet, consectetur adipiscing elit. Morbi volutpat porttitor tortor, varius dignissim.

Close

rare Unpublished content

This ghazal contains ashaar not published in the public domain. These are marked by a red line on the left.

OKAY