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असंप्रेषित प्रेम-पत्र के एवज़ में

asampreshit prem patr ke ewaz mein

गौरव भारती

अन्य

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गौरव भारती

असंप्रेषित प्रेम-पत्र के एवज़ में

गौरव भारती

और अधिकगौरव भारती

    मैंने कभी नहीं सोचा था

    कि कुछ लिखूँगा

    क्योंकि पूर्वजों में दूर-दूर तक किसी ने भाषा को

    इस रूप में नहीं बरता

    मेरी पहली कविता

    मेरा पहला प्रेम-पत्र था

    जिसे फ़िज़िक्स की कॉपी में छुपाकर मैंने लौटाया था उसे

    जिससे मैं प्रेम करता था

    मेरे शब्द उसे उसी तरह समझ नहीं आए

    जैसे मुझे कभी समझ नहीं आया

    सापेक्षता का सिद्धांत

    प्रेम शब्द नहीं अर्थ खोजता है

    एक प्रेमी को शब्द नहीं

    ढूँढ़ना चाहिए अर्थ

    अर्थ हो सकता है

    पेशानी पर दिया गया एक चुंबन

    किसी की याद में आँखों से बही कुछ बूँदें

    या फिर अपने साथी की नाराज़गी, खीझ और ग़ुस्से के सामने

    एक छोटे से अंतराल का मौन

    असंप्रेषित प्रेम-पत्र के एवज़ में

    मैं लिख रहा हूँ लगातार

    प्रेम-कविताएँ

    ताकि देह छोड़ने से पहले

    प्रेम को विन्यस्त कर सकूँ अपने जीवन में

    और शब्दों से परे

    नाम से परे

    पा सकूँ एक अर्थ

    जिसकी ऊष्मा पीढ़ियों तक बनी रहे।

    स्रोत :
    • रचनाकार : गौरव भारती
    • प्रकाशन : हिन्दवी के लिए लेखक द्वारा चयनित

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