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ओ! एडवर्ड हापर (1882-1967) होटल रूम, थाइसैन संग्रह, लूगानो

o! eDvarD hapar (1882 1967) hotal room, thaisain sangrah, lugano

चेस्लाव मीलोष

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चेस्लाव मीलोष

ओ! एडवर्ड हापर (1882-1967) होटल रूम, थाइसैन संग्रह, लूगानो

चेस्लाव मीलोष

और अधिकचेस्लाव मीलोष

    ओ, क्या उदासी, अचेत, कि वह उदासी है!

    क्या निराशा, अचेत, कि वह निराशा है!

    एक जाती हुई स्त्री, अपने सूटकेसों के बग़ल में, वह बैठी है

    एक बिस्तर पर, अधनंगी, एक लाल पेटीकोट में, उसका केशविन्यास

    अनिंद्य, उसके साथ में संख्याओं वाला एक काग़ज़ का टुकड़ा।

    तुम कौन हो?–कोई नहीं पूछेगा, स्वयं वह नहीं जानती।

    स्रोत :
    • पुस्तक : दरवाज़े में कोई चाबी नहीं (पृष्ठ 99)
    • संपादक : वंशी माहेश्वरी
    • रचनाकार : कवि के साथ अनुवादक अशोक वाजपेयी, रेनाता चेकाल्स्का
    • प्रकाशन : संभावना प्रकाशन
    • संस्करण : 2020

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