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कलाकार की दुनिया

kalakar ki duniya

निर्मला गर्ग

अन्य

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निर्मला गर्ग

कलाकार की दुनिया

निर्मला गर्ग

और अधिकनिर्मला गर्ग

    देह की अपनी एक भाषा होती है

    पीड़ा की भी अपनी एक भाषा होती है

    हम सब भाषाएँ भूलते जा रहे हैं

    कलाकार याद रखता है, जितना रख पाता है

    कलाकार की दुनिया में हम वह नहीं होते

    जो अपनी दुनिया में होते हैं

    हमारी दुनिया का सबसे अमीर आदमी

    वहाँ फटेहाल नज़र सकता है

    भीड़ से हरदम घिरे रहने वाले मदनमोहन जी

    वहाँ ऐसे होंगे जैसे निर्जन में रहते हों

    ख़ूब चमकने वाली चीज़ से गिरता है लगातार अंधकार

    मामूली-सा मिट्टी का खिलौना वहाँ

    बचपन का स्पर्श बनता है

    कलाकार के यहाँ ईश्वर

    दु:खों से और विडंबनाओं से

    वैसे ही घिरे होते हैं

    जैसे कि हम

    जैसे कि ख़ुद कलाकार!

    स्रोत :
    • पुस्तक : कबाड़ी का तराज़ू (पृष्ठ 11)
    • रचनाकार : निर्मला गर्ग
    • प्रकाशन : राधाकृष्ण प्रकाशन
    • संस्करण : 2000

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