स्मिता पाटिल

smita patil

दिनेश कुशवाह

दिनेश कुशवाह

स्मिता पाटिल

दिनेश कुशवाह

उसके भीतर एक झरना था

कितनी विचित्र बात है

एक दिन वह उसमें नहा रही थी

लोगों ने देखा

देखकर भी नहीं देखा

उसकी आँखों का पानी

मैना ने कोशिश की

कि कैसे गाया जाए पिंजरे का गीत

कि लोग

आँखों में देखने के आदी हो जाएँ।

तब घर के पीछे बँसवारी में

हवा साँय-साँय करती थी

जब उसने कोयल की नक़ल की थी

और चल पड़ी थी बग़ीचे की ओर

कि देखा

बड़े बरगद के पेड़ पर

किस तरह ध्यान लगाकर बैठते हैं गिद्ध

पूरे सीवान की थाह लेते हुए।

पिटती-लुटती-कुढ़ती स्त्री के रूप में

गालियाँ नहीं

मंत्र बुदबुदाती थी नैना जोगिन।

एक दिन मैंने उससे पूछा

बचपन में तुम ज़रूर सुड़कती रही होंगी नाक

वह मुस्कुराकर रह गई

मैंने कहा

जिसने गौतम बुद्ध को खिलाई थी खीर

तुम जैसी ही रही होगी वह सुजाता।

उसने पूछा

पुरुष के मुँह में लगी सिगरेट

बढ़कर सुलगा देने वाली लड़की भी

क्या इसी तरह सकती है इतिहास में?

कविता द्रोही भी मानते थे

अभिनय करती थी कविता

जीवन के रंगमंच पर

भीड़ भरी सिटी बसों में।

सुनते थे हम प्रसव की पीड़ा के बाद

औरत जन्मती है दूसरी बार

अभिनेत्री!

जीवन के इस अभिशप्त अभिनय के लिए

हम तैयार नहीं थे।

स्रोत :
  • पुस्तक : इसी काया में मोक्ष (पृष्ठ 88)
  • रचनाकार : दिनेश कुशवाह
  • प्रकाशन : राजकमल प्रकाशन
  • संस्करण : 2013

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हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों का व्यापक शब्दकोश : हिन्दवी डिक्शनरी

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‘हिन्दवी डिक्शनरी’ हिंदी और हिंदी क्षेत्र की भाषाओं-बोलियों के शब्दों का व्यापक संग्रह है। इसमें अंगिका, अवधी, कन्नौजी, कुमाउँनी, गढ़वाली, बघेली, बज्जिका, बुंदेली, ब्रज, भोजपुरी, मगही, मैथिली और मालवी शामिल हैं। इस शब्दकोश में शब्दों के विस्तृत अर्थ, पर्यायवाची, विलोम, कहावतें और मुहावरे उपलब्ध हैं।

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